Bharat - Sthan our Namon ka Itihas

भारत - स्थान और नामों का इतिहास 

भारत का इतिहास सबसे प्राचीन है | इस देश को सृष्टि के पूर्वकाल से लेकर आज तक अनेको नामों से पुकारा गया | क्या आप जानते हैं, भारत देश के और कितने नाम थे ? सदीयों से यहाँ अनेक भौगोलिक बदलाव हुए और इसकी सीमा रेखाएँ भी बदली | काला नुसार इसमें बसने वाले स्थानों के नाम भी बदल गए | क्या थे वो नाम ? और उनके पीछे इतिहास......

भारत के नाम 
हिमवर्ष, नाभिवर्ष, अजनाभ खंड, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिंदुस्तान, इंडिया | 

जम्बूद्वीप (एशिया खंड)
सृष्टि के प्रथम मनु, स्वायंभुव मनु के पुत्र प्रियव्रत को १० पुत्र हुए | उनमे से सात पुत्रों को प्रियव्रत ने सात द्वीप बाँट दिए | 
सप्तद्वीप - 
१) जम्बू   २) प्लक्ष   ३) शाल्मल   ४) कुश  ५) क्रौंच   ६) शाक   ७) पुष्कर 
प्रियव्रत के पुत्रों में आग्नीध्र जम्बूद्वीप (एशिया खंड) के अधिपति बने | 

जम्बूद्वीप मानचित्र (भागवत पुराण पर आधारित )

आग्नीध्र के ९ पुत्र हुए - 
१) नाभि   २) किंपुरुष   ३) हरिवर्ष   ४) इलावृत्त   ५) रम्यक   ६) हिरण्मय   ७) कुरु   ८) भद्राश्व   ९) केतुमाल
आग्नीध्र ने जम्बूद्वीप के ९ भाग करके उन भागों को अपने नौ पुत्रों के नाम दे दिए | और हर उस नाम का प्रदेश उस पुत्र को सौंप दिया |

हिमवर्ष और अजनाभ खंड 
नाभि को जम्बूद्वीप के दक्षिण का भाग 'हिमवर्ष' मिला | यहाँ हिमालय पर्वत के होने से इस प्रदेश का नाम 'हिमवर्ष' था | 
हिमवर्ष का भूभाग नाभि के नाम से 'नाभिवर्ष' और बाद में 'अजनाभ खंड' कहा जाने लगा | 

भारतवर्ष 
राजा नाभि के पुत्र ऋषभदेव थे | ऋषभदेव को सौ पुत्र हुए | उनमें से ऋषभदेव ने अपने ज्येष्ठ और गुणवान पुत्र 'भरत' का पृथ्वी पालन हेतु राज्याभिषेक किया | इन्हीं भरत के नाम से हमारे देश का नाम 'भारतवर्ष' हुआ | 
परन्तु,
महाभारत के अनुसार शकुंतला और दुष्यंत के पुत्र भरत के नाम से ही इस भूखंड का नाम 'भारत' हुआ | इन्ही के वंश में 'महाभारत' युद्ध हुआ था | इसीलिए कौरववंशी भरतवंशी कहे जाते हैं | 

"जो समुद्र के उत्तर तथा हिमालय के दक्षिण में स्थित है उसे भारतवर्ष  कहते हैं, उसमे भरत की संतान बसी हुई है |" - विष्णुपुराण (२.३-१)

आर्यावर्त 
जिस प्रदेश में आर्य निवास करते हैं उसे आर्यावर्त कहते हैं | "आर्य भारत में कही और से आये थे, आर्य यहाँ के मूल निवासी नहीं" यह कहना बहुत ही गलत होगा | क्योंकि 'आर्य' कोई जातिवाचक शब्द नहीं, ये गुणवाचक है | जो व्यक्ति श्रेष्ठ, आदर्श, विद्वान, अच्छे आचरण वाला, आस्तिक, धार्मिक और वैदिक है उसे आर्य कहा गया है | हमारे प्राचीन ग्रंथों में कही पर भी यह उल्लेख नहीं के आर्यों ने इस देश पर आक्रमण किया और यहा बस गए | इसलिए आर्य यही के हैं | हिमालय से विंध्याचल तक के प्रदेश को अर्थात उत्तर भारत को आर्यावर्त माना जाता था | 

ऋग्वेद के नदी सूक्त में सप्तसिंधु का उल्लेख है | सरस्वती, सिंधु, परुष्णी (रावी), अस्किनी (चिनाब), शुतुद्रि (सतलज), वितस्ता (झेलम), विपाशा (व्यास, बिआस), इन सात नदियों की सीमाओं के प्रदेश को आर्यों का निवासस्थल कहा गया है | 

मनुस्मृति के अनुसार पूर्वी समुद्र से लेकर पश्चिम समुद्र पर्यंत दोनों पर्वतों के (विंध्य और हिमालय) बीच के प्रदेश को आर्यावर्त कहा गया है | 

द्रविड़ 
कृष्णा और कावेरी इन दो नदियों के बीच के प्रदेश को द्रविड़ देश माना जाता था | बाद में विंध्याचल के दक्षिण भारत का भूभाग द्रविड़ कहा जाने लगा | जो व्यक्ति वैदिक, ज्ञानी, मन्त्रद्रष्टा, ऋषि है उसे द्रविड़ कहते थे | वैसे तो आर्य और द्रविड़ एक ही है | बस भौगोलिक दृष्टि से दो नाम अलग हैं | इनमें कोई अंतर नहीं | 

इसतरह भारत के उत्तर में आर्य और दक्षिण में द्रविड़ निवास करते थे | पूर्व भाग में किरात बसे थे | तथा पश्चिम में बसने वाले लोगों को यवन, म्लेंच्छ कहा गया है | 

हिंदुस्तान 
सिंधु नदी के पश्चिम में रहने वाले ईरानी और अरब लोग 'स' शब्द को 'ह' बोलते थे | तो उनकी भाषा से सिंधु का हिंदू बन गया | इसलिए सिंधु नदी के पूर्व में बसने वाले लोगों को उन्होंने हिंदू कहना शुरू किया | और 'हिंदुस्तान' का नामकरण हुआ | 
परंतु
बृहस्पति आगम के अनुसार हिंदू शब्द की उत्पत्ति इसतरह हुई थी | -
"हिमालयं समारभ्य यावत् इंदु सरोवरम | तं देवनिर्मितं देशं हिदुस्तानं प्रचक्षते ||"
अर्थ - हिमालय से आरंभ होकर इंदु सरोवर (हिंद महासागर) तक का यह देवनिर्मित देश हिंदुस्तान कहलाता है | 
इसमें हिमालय का प्रथम अक्षर और इंदु का द्वितीय अक्षर जोड़कर हिंदू शब्द की उत्पत्ति हुई थी | 

इंडिया 
बाद में यूनानियों ने इसी इंदु को 'इंडस' कहा | और सिंधु नदी को अंग्रेजी नाम 'इंडस रिव्हर' दिया | इंडस से ही 'इंडिया' नाम की उत्पत्ति हुई है |


भारतवर्ष का प्राचीन मानचित्र  Old Map Of India

रामायण और महाभारत कालीन स्थान, नगर और जनपद 
कुरु - (उत्तर प्र., हरियाणा), पांचाल - (उत्तर प्र.), मत्स्य देश - (राजस्थान), विराटनगर - (बैराट, राजस्थान), मगध - (बिहार), खांडववन, इंद्रप्रस्थ - (दिल्ली), अंगदेश, चंपानगरी - (भागलपुर, बिहार), निषाद, श्रृंगवेरपुर - (उत्तर प्र.), अवंति - (मालवा, मध्य प्रदेश), विदेह, जनकपुर - (बिहार, नेपाल), कोशल - (उत्तर प्र.), केकय - (पंजाब, पाकिस्तान), कान्यकुब्ज - (कनौज, उत्तर प्र.), गिरिव्रज - (राजगीर, बिहार), सिंधु देश - (पाकिस्तान), चेदि - (मध्य प्र.), सौराष्ट्र - (गुजरात), गांधार - (कंधार- पाकिस्तान, पेशावर- अफगानिस्तान), अश्मक - (महाराष्ट्र), उत्कल - (ओडिसा), महिष्मति - (खरगौन, मध्य प्र.), नैमिषारण्य - (उत्तर प्र.), कांबोज - (पाकिस्तान, अफगानिस्तान), द्वैत वन - (राजस्थान, हरियाणा), काम्यक वन - (हरियाणा), कुंडिनपुर - (अमरावती, महाराष्ट्र), कामरूप देश, प्राग्ज्योतिषपुर - (गुवाहाटी, आसाम), दण्डकारण्य - (महाराष्ट्र, मध्य प्र., छत्तीसगढ़, ओडिसा, आंध्र प्र.), विशाला नगरी - (वैशाली, बिहार), किष्किंधा - (हंपी, कर्नाटक), मधुपुरी - (मथुरा, उत्तर प्र.), उपप्लव्य - (राजस्थान), यौधेय - (हरियाणा), सह्य पर्वत - (सह्याद्रि, महाराष्ट्र), अपरान्त - (कोकण, महाराष्ट्र), गोकर्ण - (कर्नाटक), अभिर - (राजस्थान), द्रोणागिरी पर्वत - (उत्तराखंड), पंचवटी - (नासिक, महाराष्ट्र), त्रिगर्त - (कांगड़ा, हिमाचल प्र.), वत्स - (उत्तर प्र.), सिंहलद्वीप, लंका - (श्रीलंका), वंग देश - (बंगाल), चोल - (तंजावर, तमिलनाडु), पाण्ड्य - (मदुरै, तमिलनाडु), पुलिंद - (मध्य प्र.), कुलिंद - (हिमाचल प्र., उत्तराखंड), द्वारका, प्रभाष - (गुजरात), प्रयाग - (इलाहबाद-प्रयागराज), मत्तमयूर - (हरियाणा), अम्बष्ठ - (पंजाब), कुरुक्षेत्र - (हरियाणा), महिषक - (म्हैसूर), शूर्पारक - (सोपारा, मुंबई, महा.), त्रिविष्टप - (तिबेट), पारसिक देश - (पर्शिया, ईरान)

विष्णु पुराण में पारसिक देश को भारतवर्ष के अंतर्गत कहा गया है | इससे जान पड़ता है की भारतवर्ष की सीमा पश्चिम में पर्शिया, ईरान तक फैली हुई थी | बाद में भारत की सीमा घटती चली गई | और उसमे हमारे पास बचा हुआ जो भूभाग है वही आज का भारत है | इस भूमि पर कई बार आक्रमण हुए | मुग़ल आक्रमणकारी और बादशाहों ने अपने शासनकाल में कई स्थानों के नाम बदलकर रख दिए | और कुछ स्थानों के नाम कालानुसार बदल गए | परंतु कुछ स्थान ऐसे हैं जिन्हें हम आज भी पुराने नामों से पुकारते हैं | जैसे - अयोध्या, द्वारका, कुरुक्षेत्र, मथुरा, पुष्कर, विदर्भ, कन्याकुमारी |

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संदर्भ -
श्रीमद् भागवत 
विष्णु पुराण 
महाभारत
वाल्मीकि रामायण 
कूर्म पुराण 
स्कंद पुराण 
ऋग्वेद - नदी सूक्त 
मनुस्मृति 
बृहस्पति आगम 
सत्यार्थ प्रकाश - स्वामी दयानन्द सरस्वती 
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पूजा लखामदे © 2020
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